अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों और अधिकारियों के खिलाफ जांच निश्चित समय सीमा और समयबद्ध तरीके से करने के लिए सरकार ने मंगलवार को विशेष समय सीमा तय की।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के निर्णय की जानकारी देते हुए राज्य मंत्री कार्मिक डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि एआईएस (डी तथा ए) नियम 1969 में संशोधन किया गया है, ताकि जांच के विभिन्न चरणों की समय सीमा तय हो सके। इसका उद्देश्य अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों के विरूद्ध अनुशासन की कार्रवाई समयबद्ध तरीके से पूरी करना है।
मंत्री ने कहा कि संशोधित नियमों के अनुसार विभागीय जांच और रिपोर्ट प्रस्तुति के लिए छह महीने की समय सीमा तय की गई है। यदि किसी मामले में छह महीने के अंदर जांच संभव नहीं होती, तो उसके उचित कारणों को लिखित रूप से रिकॉर्ड कराना, अनुशासन अधिकारी द्वारा एक समय में छह महीने से अधिक की अतिरिक्त समय सीमा नहीं दी जा सकती और इस तरह जांच पूरी करने में दायित्व सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारी को आरोपों पर अपनी बात कहने के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की गई है और अनुशासन अधिकारी द्वारा और 30 दिन से अधिक इसे नहीं बढ़ाया जा सकता। किसी भी सूरत में 90 दिनों से अधिक का विस्तार नहीं दिया जा सकता। इसी तरह दोषी अधिकारी पर दंड लगाने के संबंध में यूपीएससी की सलाह पर राय जाहिर करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है और ऐसे प्रतिनिधित्व की समय सीमा का विस्तार 45 दिनों से अधिक नहीं किया जा सकता।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा नियमों में यह संशोधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की शासन संचालन में किसी भी कार्य के लिए उत्तरदायित्व और समय बद्ध कार्य निष्पादन की भावना के अनुरूप है।
मंत्री ने कहा कि नियमों में नये संशोधन से समय सीमा में कार्य करने की संस्कृति मजबूत होगी और किसी तरह का ढीलापन नहीं आएगा।
स्रोत-पीआईबी
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