काबुल, 10 जनवरी (आईएएनएस)| अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस्लामी राष्ट्रों से आग्रह किया है कि वे उनके संघर्ष प्रभावित देश में शांति प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए चरमपंथी समूहों पर दबाव बनाएं। तोलो न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गनी ने अरबी समाचार पत्र अशरक अल-अवसात से कहा कि तालिबान के लिए यह जरूरी है कि वह खुद को उन आतंकवादी समूहों से अलग करे, जो इस्लामी राष्ट्रों के लिए खतरा हैं।
उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि सऊदी अरब सहित इस्लामी देश अतिवादी नेताओं पर सुलह के लिए दबाव डालेंगे।"गनी ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के सऊदी अरब के साथ प्रगाढ़ संबंध रहे हैं। उन्होंने इसे 'मजबूत तथा जरूरी' करार दिया।अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा कि उनके देश के संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य इस्लामी राष्ट्रों के साथ अच्छे संबंध हैं। पाकिस्तान के संबंध में गनी ने कहा कि इस्लामाबाद के हित काबुल के साथ जुड़े हुए हैं।उन्होंने आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) को पूरे क्षेत्र के लिए खतरा करार दिया।गनी ने कहा, "जब इन समूहों के इतिहास पर नजर डालें, तो प्रत्येक का जीवनकाल औसतन 20-40 साल रहा है और हमें इन्हें रोकने के लिए कम से कम 20 साल की जरूरत है।"यह पूछे जाने पर कि अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर वह चिंतित हैं, गनी ने कहा, "संकट के शुरुआती दौर में ही लाखों अफगानिस्तानी पड़ोसी देशों में शरण लेने चले गए, जबकि कुछ अफगानिस्तान के ही दूसरे शहरों की ओर रवाना हो गए। साल 2016 तक 10 लाख लोग वापस अफगानिस्तान लौट चुके हैं और हमने उनका स्वागत किया है।"अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, कुछ देश अच्छे तथा बुरे आतंकवाद में विभेद करते हैं। उनके मुताबिक, जो आतंकवादी देश के बाहर आतंकवाद फैलाते हैं वह उनके लिए अच्छे हैं और जो देश में ही आतंकवाद फैलाते हैं, वे बुरे हैं।"--आईएएनएस
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