सिंधु जल समझौते को लेकर भारत-पाकिस्तान की ओर से शुरू की प्रक्रिया पर विश्व बैंक द्वारा रोक लगाए जाने के बाद रविवार को पाकिस्तान ने विश्व बैंक से अपने दायित्व निभाने का आग्रह करते हुए कहा कि वह सिंधु जल समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धता पूरी करे जिसमें कोई भी पक्ष अपने लिए निर्धारित काम को रोक न सके।
रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक इस बात की जानकारी देते हुए पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसहाक डार ने शनिवार को विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम को लिखे एक पत्र में यह आग्रह किया। यह पत्र पंचाट न्यायाधिकरण के मनोनयन की प्रक्रिया पर रोक लगाने के विश्व बैंक के निर्णय पर लिखा गया।
इस सप्ताह विश्व बैंक ने सिंधु जल समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई अलग-अलग प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए वैकल्पिक तरीके पर विचार करने को मंजूरी देना था।
इस निर्णय से एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति रुक गई जिसके लिए भारत ने निवेदन किया था। इसी तरह सिंधु नदी जल प्रणाली के साथ भारत द्वारा बनाए जा रहे दो पनबिजली संयंत्रों से संबंधित मुद्दों के निपटारे के लिए पाकिस्तान ने पंचाट अदालत के अध्यक्ष की नियुक्ति का अनुरोध किया था। यह प्रक्रिया भी रुक गई थी।
समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, डार ने अपने पत्र में कहा कि विश्व बैंक के निर्णय से पाकिस्तान के हितों और सिंधु जल समझौता 1960 के तहत मिले उसके अधिकारों पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पाकिस्तानी मंत्री ने विश्व बैंक से अनुरोध किया कि नियुक्ति के लिए चयनित प्राधिकार के रूप वह सिंधु जल समझौते के तहत अपने दायित्वों को निभाए और पंचाट के अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द करे।
डार ने कहा कि विश्व बैंक समूह द्वारा प्रस्तावित रोक पाकिस्तान को उचित मंच तक पहुंचने और अपनी शिकायतों का निपटारा कराने से रोकेगा।
स्रोत--आईएएनएस
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