भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले के एक महीने पूरे हो जाने के बाद भी इस पर गतिरोध रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आरएसएस समर्थित थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के महत्वपूर्ण सदस्य गुरुमूर्ति ने सोमवार को इस बाबत मीडिया से विमर्श किया।
नोटबंदी पर सरकार की रणनीति की चर्चा करते हुए आरएसएस के विचारक एस.गुरुमूर्ति ने कहा कि नोटबंदी के बाद 2,000 रुपये के नए नोटों को नकदी की समस्या से जूझ रहे लोगों को राहत देने के एक उपाय के तौर पर लाया गया है और बाद में इसे वापस ले लिया जाएगा।
गुरुमूर्ति ने इंडिया टुडे न्यूज चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कहा ‘नोटबंदी के बाद 2,000 रुपये के नोट केवल मांग-आपूर्ति के बीच खाई को पाटने के लिए जारी किए गए। बैंकों से कहा जाएगा कि 2,000 रुपये के नोटों को वह अपने पास रखें और उसके बदले में छोटे नोट प्रदान करें।’
सरकार की बैंको की भूमिका में सरकार की रणनीति मर गुरुमूर्ति ने कहा, ‘निश्चित तौर पर बैंकों से कहा जाएगा कि एक बार जब 2,000 रुपये के नोट उनके पास आ जाएं, तो वह उसे ग्राहक को वापस नहीं करें। धीरे-धीरे बैंक 2,000 रुपये को नोटों को एकत्रित कर लेंगे और उन्हें छोटे नोटों से बदल देंगे।’
नोटो के चलन और उनकी समय सीमा पर उन्होंने ‘सरकार 2,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से उन्हें चलन से बाहर करेगी। अतीत में हम इसी तरह कई सीरिज के नोटों को चलन से बाहर कर चुके हैं। सरकार छोटे नोटों को चलन में बनाए रखने के प्रति कटिबद्ध है।’
गुरुमूर्ति की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब सरकार कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की बात कह रही है, दूसरी तरफ उसने 2,000 के नोट जारी किए हैं, जो उसके रुख के प्रति विरोधाभास पैदा करता है। सरकार की ओर से तो इस पर कोई जवाब नहीं आया, मगर आरएसएस के विचारक ने सफाई दे दी है।
स्रोतः आईएएनएस
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