नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की मेजबानी में 9वें एशिया-प्रशांत ब्यूरो सम्मेलन का उद्घाटन बुधवार को एनएसडी परिसर में स्थित अभिमंच सभागार में शुरू हुआ।
इसमें एनएसडी के विद्यार्थियों, फैकल्टी, कर्मचारियों एवं कलाकारों के अलावा 10 देशों से भाग ले रहे 14 स्कूलों के निदेशकों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। एनएसडी की ओर से जारी बयान के अनुसार, एक सप्ताह तक चलने वाले संवाद एवं आदान-प्रदान कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों के साथ प्रतिभागियों ने संवाद किया। कार्यक्रम की शुरुआत राग भैरवी में दिग्गज बांसुरी वादक पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना के सुरीले प्रदर्शन के साथ हुई।
बयान के अनुसार, इस सम्मेलन में भाग लेने वाले स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले मेहमानों में मोहम्मद इसराफिल (ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के थियेटर एवं परफारमेंस स्टडीज विभाग), डॉ. ए. एस. हार्डी बिन साफी (स्कूल ऑफ द आर्ट्स, यूनिवर्सिटी सैंन्स मलेशिया, (यूएसएम) मिंडेन पिनानगे, मलेशिया), डॉ. आमांदा मोरिस (लैसेले कॉलेज आफ आर्टस, सिंगापुर), के ओ हुसेन (कोरिया नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स, साउथ कोरिया), रिकाडरे एबाद (ऐटेना डी मनिलम, फिलीपींस), सु मासाको इटो (मियाजाकी) (तोहो गौकेन कालेज ऑफ ड्रामा एंड म्युजिक, टोक्यो, जापान) तथा डॉ. फरिनडोकट जाहेदी (यूनिवर्सिटी आफ तेहरान, ईरान) हैं।
इस मौके पर एनएसडी के निदेशक वामन केंद्रे ने कहा, "भारत में गुरु-शिष्य परम्परा है, यानी शिक्षक-शिष्य के रिश्ते, जिसके तहत हम न केवल विद्यार्थियों को कला के कौशल सिखाते हैं, बल्कि जीवन के मूल्य भी देते हैं। मेरा मानना है कि हमारे विभिन्न और विविध संस्कृति के साथ, एशिया प्रशांत क्षेत्र ने दुनिया को काफी कुछ दिया है और यही वजह है कि हमें एक साथ आने की जरूरत है।"उन्होंने कहा, "आज, कलाओं का लक्ष्य सिर्फ शिक्षण नहीं है, बल्कि उसके अलावा भी बहुत कुछ है।
समाज टुकड़ों में बंटा हुआ है और युद्ध का खतरा दुनिया के कुछ हिस्सों में तेजी से उभर रहा है। 'हमें युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए' के उदाहरण के साथ नेतृत्व करना हमारी जिम्मेदारी है। इसी कारण से यह महत्वपूर्ण है कि हम सिर्फ कलाकारों को पैदा नहीं करें, बल्कि हमें जिम्मेदार वैश्विक नागरिकों को भी पैदा करना है, जो शांति का संदेश प्रसारित करेंगे। यह हमारे सामने और दुनिया के सभी रचनात्मक संस्थानों के लिए एक चुनौती है।"
-- आईएएनएस
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