चंडीगढ़/नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की उप समिति ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सिफारिश की है कि कक्षा आठ तक के विद्यार्थियों के लिए 'नो-डिटेंशन' नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।
इसके साथ ही उप समिति ने सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की भी सिफारिश की।
केब उप समिति के अध्यक्ष, पंजाब के शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि 189 पृष्ठों की समिति की रपट बुधवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को नई दिल्ली में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में सिफारिशों के साथ सौंप दी गई।
रपट सौंपे जाने के बाद एक बयान में चीमा ने कहा कि समिति ने प्राथमिक स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं की सिफारिश की है, ताकि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के स्तर में सुधार किया जा सके।
चीमा ने कहा, "इसके अलावा समिति ने कक्षा आठ तक नो-डिटेंशन नीति की समीक्षा किए जाने की सिफारिश की और पांचवीं और आठवीं कक्षा में पहले की तरह स्वतंत्र मानक परीक्षा कराए जाने की बात कही है।"उन्होंने कहा, "रपट बनाते समय, दूसरे देशों द्वारा शिक्षा पर किए जाने वाले खर्च की भी तुलना की गई है।
इसके बाद यह सिफारिश की गई है कि न्यूनतम छह प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का शिक्षा पर खर्च होना चाहिए।"उन्होंने कहा, "समिति ने हर स्कूल में एक प्रमुख रखने के अनिवार्यता के साथ प्रारंभिक/प्राइमरी शिक्षा पर ज्यादा खर्च बढ़ाने की सिफारिश की है।"
--आईएएनएस
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