नई दिल्ली, 19 अक्टूबर: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गत 9 फरवरी को विवादास्पद कार्यक्रम में संलिप्त होने के लिए अनुशासनहीनता के दोषी ठहराए जाने के विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को मिली राहत की अवधि बुधवार को बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने समयाभाव के कारण बुधवार को जेएनयू के छात्रों कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्या और अन्य की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई 7 नवम्बर तक के लिए टाल दी।
अदालत ने कहा, "जो कुछ भी अंतरिम स्थिति है, वह अगली सुनवाई तक जारी रहेगी।"उमर खालिद की ओर से पेश अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने संक्षिप्त बहस के दौरान अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच को लेकर नोटिस नहीं दिया गया था।सिब्बल ने कहा, "उमर से यह भी नहीं कहा गया कि एक अनुशासनात्मक जांच गठित की जा रही है।
"सिब्बल ने कहा कि उमर को खुद के बचाव का समुचित अवसर नहीं दिया गया था और विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया था।जेएनयू के छात्रों ने विवादास्पद कार्यक्रम के संबंध में अनुशासनहीनता के दोषी ठहराए जाने वाले विश्वविद्यालय के अपीलीय प्राधिकरण के निष्कर्षो को चुनौती दी हुई है।
परिसर में गत 9 फरवरी के कार्यक्रम में कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।विश्वविद्यालय के अपीलीय प्राधिकरण ने कन्हैया कुमार पर जुर्माना भी लगाया था और एक हलफनामा देने को कहा था कि वह जेएनयू परिसर में होने वाली किसी अवैध गतिविधि में भाग नहीं लेंगे या उपस्थित नहीं होंगे।
विश्वविद्यालय ने उच्चस्तरीय समिति की जांच के आधार पर छात्रों को कई तरह के दंड दिए थे जिनमें निष्कासन, छात्रावास में प्रवेश पर रोक और वित्तीय दंड शामिल थे।अपीलीय प्राधिकरण ने कई छात्रों की जुर्माना की राशि कम कर दी थी, जबकि खालिद और अनिर्बान के दंड बरकरार रखे गए थे।
उमर को एक सेमेस्टर (छह माह) के लिए निष्कासित किया गया था, जबकि अनिर्बान के विश्वविद्याल परिसर में प्रवेश पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था।
--आईएएनएस
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