टोक्यो, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| दक्षिण कुरील द्वीपों पर संप्रभुता को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद के हल पर जोर दिए बिना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जापान रूस के साथ शांति समझौता करेगा।
समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार, एक सरकारी सूत्र ने बुधवार को कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मध्य दिसंबर में होने वाले जापान दौरे से पहले प्रधानमंत्री शिंजो आबे वर्तमान में मॉस्को के साथ अपनी कूटनीति रणनीति की समीक्षा कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, शांति समझौता करने से एक कदम पहले टोक्यो ने कुरील द्वीपों में संघर्ष के प्रस्ताव का बचाव किया है। इस क्षेत्र पर जापान दावा करता है, जबकि यह रूस प्रशासित है और वह इसे अपना उत्तरी प्रदेश मानता है।दक्षिण कुरील द्वीप समूह उत्तरी जापान में पूर्वी तट के होक्काइडो के अपतटीय क्षेत्र में स्थित है।
इसमें तीन द्वीप-इतोरोफु, कुनाशीर और शिकोतान के साथ-साथ हाबोमाई के छोटे-छोटे द्वीप भी शामिल हैं।रूस का कहना है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत से पहले सोवियत संघ ने द्वीपों पर वैधानिक रूप से तब कब्जा किया था, जब सोवियत सेना ने साल 1948 में एक सैन्य अभियान के तहत इन द्वीपों पर हमले किए थे।मॉस्को 1956 में जारी किए गए संयुक्त वक्तव्य की विषय वस्तुओं के सम्मान करने पर जोर देता है, जिसमें टोक्यो और मॉस्को एक आरंभिक समझौते किए थे। समझौते के मुताबिक, अगर शांति समझौता होता है तो शिकोतान और हाबामोई द्वीप समूह जापान को वापस लौटा दिए जाएंगे।
--आईएएनएस
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