चेन्नई, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप के नियमों थोड़ा सा परिवर्तन किया जाए, ईनामी राशि में बढ़ोतरी की जाए, विदेशी प्रशिक्षकों की सेवाएं ली जाएं, कारोबारी घरानों को खेल से दूर रखा जाए और भव्यता तथा चमक-दमक के जरिए शतरंज के प्रति आकर्षण बढ़ाया जाए तो देश में शतरंज में क्रांतिकारी सुधार लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इनमें से कुछेक चीजें भी अमल में लाई जाएं तो 2018 में होने वाले विश्व शतरंज ओलम्पियाड में भारतीय टीम बड़ी दावेदार बनकर उभर सकती है।
भारत की जनसांख्यिकी का हवाला देते हुए वे यहां तक कहते हैं कि विश्व स्तरीय शतरंज खिलाड़ियों के विकास के मामले में भारत पूर्व सोवियत संघ जैसी हैसियत हासिल कर सकता है।पिछले महीने हुए शतरंज ओलम्पियाड में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम के गैर प्रतिस्पर्धी कप्तान ग्रैंड मास्टर आर. बी. रमेश ने आईएएनएस से कहा,
"सिर्फ कोई युवा देश ही बड़ी संख्या में विश्व स्तरीय शतरंज खिलाड़ी दे सकता है और जनसांख्यिकी के लिहाज से भारत इस मामले में बिल्कुल मुफीद स्थिति में है।"ओपन कैटेगरी में भारतीय पुरुष टीम चौथे स्थान पर रही थी और शीर्ष बोर्डो पर उसने अच्छा प्रदर्शन किया था।रमेश ने कहा, "ओलम्पियाड में हम कई बार शीर्ष पर रहे। सभी खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया और अच्छा अनुभव हासिल किया।
हमने पिछली बार की अपेक्षा इस बार कई शीर्ष टीमों के खिलाफ खेला। पिछली बार हम कांस्य पदक जीतने में सफल रहे थे, लेकिन आंकड़ों के आधार पर इस बार हमें कोई भी पदक का दावेदार नहीं मान रहा था।"लेकिन सच्चाई यह है कि भारत शतरंज की दुनिया में एक दमदार प्रतिद्वंद्वी है और शीर्ष 10 खिलाड़ियों के ईएलओ के आधार पर दुनिया में पांचवें स्थान पर है। हालांकि ओलम्पियाड में भारत को 11वीं वरीयता दी गई थी, जो हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों की रेटिंग के आधार पर तय की गई थी।
देश के शीर्ष ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद (2,776), सूर्यशेखर गांगुली (2,672), परिमार्जन नेगी (2,670) और के. शशिकरण (2,654) इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे।ओलम्पियाड में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम में ग्रैंड मास्टर पी. हरिकृष्ण (2,752), विदित संतोष गुजराती (2,669), बी. अधिबान (2,671), एस. पी. सेतुरमन (2,649) और राष्ट्रीय चैम्पियन कार्तिकेयन मुरली (2,514) शामिल थे।
ओलम्यिाड में हिस्सा लेने वाले देशों के अधिकांश प्रतिभागियों की रेटिंग 2,600 से ऊपर थी।हालांकि विशेषज्ञों ने आईएएनएस को बताया कि 2,700 से अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ियों से लगातार खेलना अपने-आप में बेहद थकाऊ होता है और संभवत: इसने भारतीय टीम के प्रदर्शन को भी प्रभावित किया।हालांकि कप्तान रमेश ने यह मानने से इनकार किया कि भारत के शीर्ष खिलाड़ी टूर्नामेंट के आखिर तक थक गए थे।
ओलम्पियाड में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम के शीर्ष रेटिंग वाले खिलाड़ी हरिकृष्ण ने आईएएनएस से कहा, "जब आप ओलम्पियाड जैसा टूर्नामेंट खेलते हैं तो गलतियां होना आम बात होती है। मेरे खयाल से यदि आप मुकाबलों पर गौर करें तो कई खिलाड़ी बिसात पर मजबूत पकड़ होने के बाद गलतियां कर बैठे या जीत से चूक गए।
"एशियन गेम्स या विश्व चैम्पियनशिप जैसे टूर्नामेंट के लिए अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) फिडे रैंकिंग के आधार पर खिलाड़ियों का चयन करता है। राष्ट्रीय चैम्पियन इस टीम का हिस्सा अवश्य होता है।उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में खेलने वाले खिलाड़ियों को अतिरिक्त 75 अंक दिए जाते हैं।
ऐसे में कम रेटिंग वाले खिलाड़ी की रेटिंग सिर्फ राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने के कारण अच्छी हो जाती है और ऐसे अहम टूर्नामेंटों में उसे तरजीह मिल जाती है।देश के शीर्ष पेशेवर शतरंज खिलाड़ी अमूमन राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हिस्सा नहीं लेते, क्योंकि हार की दशा में ईएलओ रेटिंग गिरने का खतरा रहता है।देश के एक ग्रैंड मास्टर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, "ईएलओ अंक गंवाना किसी भी खिलाड़ी के लिए सामान्य बात नहीं है।
किसी भी खिलाड़ी को उसके ईएलओ अंकों के आधर पर ही किसी अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में आमंत्रित किया जाता है।"एक अन्य ग्रैंड मास्टर ने भी नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, "राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में देश के शीर्ष खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए ईनामी राशि बढ़ाकर कम से कम पांच लाख रुपये की जानी चाहिए और टूर्नामेंट को और चुनौतीपूर्ण बनाना चाहिए।
"इस समय राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप विजेता के लिए ईनामी राशि 2.5 लाख रुपये है।खिलाड़ियों के अनुसार खेल में सुधार के लिए एआईसीएफ को ढेरों सुझाव दिए गए लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।एआईसीएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भरत सिंह चौहान ने हालांकि आईएएनएस से कहा, "चयन के मुद्दे को लकर कई बार चर्चा की गई, लेकिन हमने मौजूदा प्रणाली को ही सबसे उपयुक्त पाया।
भारत की मौजूदा टीम बहुत मजबूत है।"शतरंज को लोकप्रियता देने पर खिलाड़ियों ने कहा कि एआईसीएफ को विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर बहु-स्तरीय रणनीति अपनानी चाहिए।
--आईएएनएस
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