सुहागिन पत्नियों के लिए सबसे खास त्यौहारों में से एक है करवा चैथ का पर्व। इस पर्व पर सुहागिन पत्नियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है। करवा चैथ का यह व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है।
मान्याता है कि इस दिन मां पार्वती ने अपने पुत्र गणेश के लिए भगवान शंकर से खास महत्व के लिए वरदान मांगी थी। भगवान शंकर ने उनकी प्रर्थना सुन कर इस पर्व को खास दर्जा दिया। भगवान शिव ने माता पार्वती को वरदान दिया कि हर शुभ पूजन के पहले पुत्र गणेश की पूजा की जाएगी।
ऐसी मान्याताओं के साथ गणेश चतुर्थी पर पूरे भारत वर्ष में सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती है। इस दिन महिलाएं शाम के समय भगवान चन्द्र को अघ्र्य देकर अपने व्रत की शुरूवात करती है।
करवा चैथ के दिन महिलाएं व्रत शुरू करने के बाद बिना कुछ खाएं पिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है। शाम को भगवान चंद्रमा के दिखाई देने के बाद विधिपूर्वक पूजन करती है।
यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शादी-शुदा महिलाएं व्रत के पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती है। इस खास पर्व को लेकर बाजार भी रौशन कर दिये जाते है।
महिलाएं करवा चैथ के इस पर्व की तैयारी को लेकर कोई भी कसर नहीं छोडना चाहती। वह नये वस्त्रों के साथ ही पूजन सामग्री को भी हिन्दू मान्यताओं के अनुसार खरीददारी करती है।
करवा चैथ पर्व पर पूजन का विशेष ध्यान दिया जाता है। महिलाएं करवा चैथ की पूजा करने के लिए बालू व सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर भगवान शिव, माता पार्वती, पुत्र कार्तिकेय, गणेश व चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजन करती है।
करवा चैथ व्रत रखी महिलाएं पूजन के बाद करवा चैथ का पाठ जरूर सुनती है। इसके साथ ही भगवान चंद्रमा को अघ्र्य देकर छलनी के द्वारा अपने पति का दर्शन करती है तथा पति अपने हाथों से पानी पिलाते है।
पूजन विशेष सामग्री-
करवा चैथ व्रत के लिए विशेष पूजन की व्यवस्था की जाती है। पूजन सामग्री में फल, मिठाई, मेवा, आदि से पूजन किया जाता है।
पूजन करने का शुभ मूहूर्त-
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार करवा चैथ का व्रत 19 अक्टूबर दिन बुधवार को किया जाएगा। इसके अनुसार पूजन का शुभ मूहूर्त का समय शाम 5: 43 मिनट से लेकर 6: 59 मिनट तक है।
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