लखनऊ, 16 अक्टूबर (आईएएनएस/आईपीएन)। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के वृद्ध मानसिक चिकित्सा विभाग में निकाली गई असिस्टेंट प्रोफेसर पद की दो भर्तियों में घोटाले का मामला सामने आ रहा है।
दोनों पदों पर केजीएमयू प्रशासन अपने चहेतों को नियुक्त करना चाह रहा है। सूत्रों के मुताबिक, निकाले गए दोनों पद पहले आरक्षित थे, अब इन्हें अनारक्षित कर दिया गया है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि केजीएमयू प्रशासन की तरफ से किस नियम के तहत आरक्षित को अनारक्षित कर दिया गया।
पूर्व में भी केजीएमयू प्रशासन की तरफ से भर्ती में खेल किया जा चुका है। नियमों को ताक पर रखकर गठित कमेटी द्वारा डॉ. प्रीति सिंह की नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कर दी गई थी।
जबकि अमेरिका से आई डॉ. प्रीति सिंह इस पद के लिए योग्य नहीं थीं।इतना ही नहीं, कमेटी ने केजीएमयू से डीए की पढ़ाई किए हुए अब्दुल जिलानी को दर किनार कर दिया था, जिस पर जिलानी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए राजभवन में वीसी, एचओडी की गठित कमेटी की फर्जी नियुक्ति की शिकायत की थी।
कमेटी द्वारा डॉ. प्रीति सिंह की नियुक्ति को राज्यपाल ने संज्ञान में लिया, जिसके बाद से राजभवन द्वारा केजीएमयू वीसी से सवाल जवाब शुरू कर दिया गया। राजभवन के कई सवालों का वीसी द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, जिसके बाद राज्यपाल ने नियुक्ति रद्द कर दी थी।
केजीएमयू की तरफ से निकाली गई भर्तियों को इस साल दिसंबर तक ही भर देने की तैयारी है। कारण यह कि वीसी का कार्यकाल 2017 के अप्रैल तक खत्म हो जाएगा। ऐसे में कार्यकाल के तीन महीने पहले तक वीसी द्वारा कोई भी नियुक्ति नहीं की जा सकती है।
--आईएएनएस
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