अहमदाबाद, 16 अक्टूबर, (आईएएनएस)| दुनिया भर में फुटबाल के लिए विख्यात इंग्लैंड में इस समय भारत के प्राचीन खेल कबड्डी की काफी चर्चा है।
भारत में खेले जा रहे कबड्डी विश्व कप में इंग्लैंड की टीम पहली बार हिस्सा ले रही है, लेकिन उसके लिए यहां टीम लेकर आना आसान नहीं रहा।
टीम के कप्तान सोमेश्वर कालिया कहते हैं कि उन्होंने टीम बनाने के लिए दूसरे खेल के खिलाड़ियों से भी बात की और तब जाकर वह टीम तैयार कर पाए।
सोमेश्वर ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, "हमारे पास कुछ खिलाड़ी थे जिन्हें रेक्टेन्ग्यूलर कबड्डी ( जिसे नेशनल स्टाइल कबड्डी भी कहा जाता है, इसमें 12 में से सात खिलाड़ी ही मैट पर उतरते हैं) का अनुभव था।
बाकी खिलाड़ियों को हमने रग्बी, फुटबाल और दूसरे खेलों से लिया है। हमने अपनी टीम के साथियों, दोस्तों जिनके पास खेलने की क्षमता थी उनसे हमारे साथ आने और नए खेल का अनुभव लेने को कहा।
"इंग्लैंड में इस समय कबड्डी विश्वविद्यालय स्तर पर खेला जाने वाला खेल है। इस स्तर पर कबड्डी के काफी क्लब हैं और वहां कई टूर्नामेंट भी खेले जाते हैं।सोमेश्वर से जब पूछा गया कि क्या इग्लैंड में कबड्डी को इस विश्व कप के बाद और बढ़ावा मिलेगा तो उन्होंने कहा बिल्कुल मिलेगा।इंग्लैंड के कप्तान का कहना था, "हां, बेशक।
इससे पहले जब हम विश्व कप के लिए यहां आ रहे थे, लोग-बाग हमसे पूछते थे कि हम इसे कैसे खेल सकते हैं। प्राथमिक स्कूलों में भी कबड्डी के टूर्नामेंट होते हैं।
"उन्होंने कहा, "इस विश्व कप को मीडिया में जितनी जगह मिल रही है उसने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। इस खेल को अब वो लोग भी जानने लगे हैं जो पहले इससे अनजान थे।
"सोमेश्वर से जब कबड्डी में अनुभव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैंने थोड़ी बहुत कबड्डी खेली है, लेकिन पिछले डेढ़ साल से मैं रेक्टेंग्यूलर नेशनल स्टाइल कबड्डी ही खेलता आ रहा हूं।
"इंग्लैंड कबड्डी संघ (ईकेए) के अध्यक्ष अशोक दास इस टीम के कोच भी हैं। सोमेश्वर ने कहा कि अशोक के कारण उनकी टीम को खेल को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली।सोमेश्वर ने कहा, "हमारे लिए इस खेल को खेलना अजीब था।
क्योंकि इसकी विचित्र बात यह है कि आपको चलते-चलते लगातार कबड्डी-कबड्डी बोलना पड़ता है। हमें शुरुआत में लगा था कि यह अजीब है।
हमारे कोच और ईकेए के अध्यक्ष अशोक दास ने हमें इस खेल के बारे में काफी कुछ सिखाया।"इंग्लैंड इस समय खेल को सीखने के लिए सभी टीमों पर नजर रखे हुए है, ताकि वह कबड्डी की बारीकियों को सीख सके।
उनका मानना है कि भारत में उन्हें जो अनुभव मिला है वह उन्हें निकट भविष्य में काम आएगा।सोमेश्वर ने कहा, "हम बहुत कुछ नया सीख रहे हैं, नई तकनीक और भी बहुत कुछ।
वो भी सिर्फ प्रशिक्षकों से नहीं, बल्कि दूसरे देशों के खिलाड़ियों से भी। हम हर दिन कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। हम हर मैच देख रहे हैं, हम हाईलाइट्स तक देखते हैं। हम इस टूर्नामेंट से काफी कुछ सीख रहे हैं।"
--आईएएनएस
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